Sunday, August 14, 2011

चिंगारी


चिंगारी


सबसे पहले तो सभी भारत वासियों की तरफ़ से ६४वे स्वाधीनता दिवस की बधाई.
यह कविता मैं श्री. अन्ना हज़ारे जी  और श्री. अरविन्द केजरीवाल को समर्पित करत हूँ.
मैं सबसे  अपील   करता हूँ की उनका बढ़ चढ़ कर साथ दें ताकि, सही लोकपाल बिल पास हो और  हमारे देश से भ्रष्टाचार दूर हो सके .
 

चिंगारी अभी बुझी नहीं,
अभी आग लगाना बाकी है,
जल जायेगी होलिका,
बस होली आना बाकी है.

नन्हे से कण भले हों हम,
जो संग जलें, अंगार बने,
फिर आओ जिसमे हिम्मत हो,
देहन होलिका बाकी है.

जल रही है होलिका,
 जल रहे अंगारे हैं,
रंग उनका बसंती है,
बस राख़ लगाना बाक़ी है .
                   ____ संकल्प सक्सेना 

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