Saturday, August 27, 2011

पहचान तेरी


पहचान तेरी


गिर गिर कर उठ
उठ उठ कर गिर
गिर कर उठना 
पहचान तेरी
यह जीवन है 
इस में घिरना
लड़कर आना 
पहचान तेरी ।

सुख सुख कर,
सूख गए तुम हो
ग़म से कर ले 
पहचान तेरी ।

यह जीवन ग़म से 
सजता है,
ग़म से लड़ने में 
शान तेरी  ।

आंसू छलके,
 जब ग़म जीते 
यह सुख के आंसू
शान तेरी ।


गिर गिर कर उठ
उठ उठ कर गिर
गिर कर उठना 
पहचान तेरी
                                                     _ संकल्प सक्सेना.


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