Saturday, September 24, 2011

कविता


कविता 

धड़कने तेज होने लगती हैं
मन खोने लगता है
जब नाम कभी तुम्हारा लब पे आता है,
प्रेम के समंदर में मन गोते लगता है
जब नाम कभी तुम्हारा, लब पे आता है 

कभी संगीत सहलाता है
कहीं ग़ज़ल बनती है
कभी अनाहद नाद
मेरे दिल को भाता है
जब नाम कभी तुम्हारा, लब पे आता है 

मैं भी तो तुम्हारी राह का पथिक हूँ
कहीं राह न भटकूँ,
प्रेम के दीप जलदो
सदा रहूँगा चरणों में
बस एक बार आवाज़ लगादो 
                                   ___ संकल्प सक्सेना 


                                     

Saturday, September 17, 2011

जीवन


जीवन

तनहा सी शाम है
चुभता हुआ सन्नाटा है,
सब कुछ है पास में,
फिर भी नमी है आँख में।

यादों का बवंडर है,
कहीं सुरूर, कहीं बेचैनी का मंज़र है।

जीवन  इक अगन है,
कहीं जलन, कहीं सुलगन है।

आँखों में है कई अरमां
कहीं कोशिश,
कहीं मुक़ाम हैं।

क्या कमाएगा? 
क्या लेजएगा इंसान?
कहीं राख़,
कहीं मिट्टी है 
                                             __ संकल्प सक्सेना 

Sunday, September 11, 2011

याद

याद

तुम्हारी याद मैं झुलसता हूँ अब मैं,
इस दर्द के सहारे जीता हूँ  अब मैं,
कि आओगे तुम नज़दीक मेरे,
तेरी राह को ही तकता हूँ अब मैं,
तुम्हारी याद मैं झुलसता हूँ अब मैं ।

कलि तो अब बनी होगी फूल,
महके आँगन को तरसता हूँ अब मैं
ये सावन कि बारिश ,बगिया कि ख़ामोशी, 
झूलों कि अचलता , समझता हूँ मैं,
तुम्हारी याद मैं झुलसता हूँ अब मैं ।

तेरे आने से महकेगा सावन ,
सावन में वसंत को तरसता हूँ अब मैं
हे कान्हा ! मेरे इस दर्द को समझो
तेरे आसरे अब तो बैठा हूँ अब मैं
तुम्हारी याद मैं झुलसता हूँ अब मैं ।
                                                    ___संकल्प सक्सेना.
            

Friday, September 2, 2011

आहट


आहट 

शाम है, तन्हाई है, और किसी के आने की आहट
उनकी राहों में महकती यादों की आहट,
सुगन्धित झरोखों में क़दमो की आहट ,
यह आहट है दिल के तड़पने की आहट 

उनके दीदार को मचलने की आहट ,
यह हुस्न से नहीं  रूह से मिलने की आहट,
यह आहट है उनके तड़पने की आहट 

ख़्वाबों में आते हैं,लेके घटाओं की आहट ,
निगाहोनो से चमकती बिजली की आहट,
नूर की बारिश में नहाने की आहट,
यह आहट है हमारे मिलने की आहट 

                       ____ संकल्प सक्सेना