श्रद्धांजलि
मेरा कौन था वो
क्या नाता था
जो जाते जाते रुला गया
मेरा मीत नहीं
मेरा गीत नहीं
मेरे दिल में फिर भी समां गया
वो नूर का सच्चा बंद था
वो प्रेम का दीप जलाता था
जब नूर के साथ चमकता था
तब नूर भी शर्माता था
ग़म उसका सजदा करते थे
उल्फ़त के गीत सुनाता था
जीवन से प्रीत निभाने का
वो सबको पाठ पढ़ता था
प्रियतम उसके सजदे में था
वो रोक न पाया अब ख़ुद को
यम उसके सजदे में था
वो चला गया है सत पथ को
न भाई था, न बन्धु वो
न उस्से रक्त का नाता था
वो साज़ है मेरी धड़कन का
वो लहू में गीत बहता था ।
------ संकल्प सक्सेना