Friday, May 4, 2012

सखी


सखी


उड़ा कर जुल्फें पवन ने 
सांझ को न्योता दिया,
आ गई वो संग एली ( बदरी )

और बरखा ले आई,

छा गयी खुशबू हवा में
सृष्टि ने ली अंगडाई ।

बदला मौसम, आया सावन
बदरी - बरखा , मन लुभावन
खिल गयीं कलियाँ चमन में
कैसा ये पावन समागम ।

जुल्फें - बदरी , सांझ - बरखा
सखी मिलन , सावन है पावन
खो रहा हूँ मैं नशे में
मेरी कविता, आइना मन ।

                                                    ____संकल्प सक्सेना ।

No comments:

Post a Comment