सखी
उड़ा कर जुल्फें पवन ने
सांझ को न्योता दिया,
आ गई वो संग एली ( बदरी )
और बरखा ले आई,
छा गयी खुशबू हवा में
सृष्टि ने ली अंगडाई ।
बदला मौसम, आया सावन
बदरी - बरखा , मन लुभावन
खिल गयीं कलियाँ चमन में
कैसा ये पावन समागम ।
जुल्फें - बदरी , सांझ - बरखा
सखी मिलन , सावन है पावन
खो रहा हूँ मैं नशे में
मेरी कविता, आइना मन ।
____संकल्प सक्सेना ।
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