Wednesday, September 19, 2012

चिराग




चिराग


है चिराग लेकिन बुझा नहीं
तूफानों मैं है जला वही
अंधियारे का है शत्रु वो

और उजियारे का लाल वही ।


झंझावाती काले बादल
गरजे उस पर, बुझ जाने को,
तब चमकी बिजली आसमान से
उसक का ढाढस बंधवाने को ।



लहराई शमा, प्रेयसी उसकी
कहा साथ रहेंगे जनम जनम
जो हाथ लगाया दीपक को
मैं भस्म करूंगी बादल को ।



बादल बिखरे, सूरज आया
सहलाने अपने बालक को
वंदन में सारा जग उसके 
जिसने जीता अंधियारे को ।
                              ___संकल्प सक्सेना ।

No comments:

Post a Comment