चिराग
है चिराग लेकिन बुझा नहीं
तूफानों मैं है जला वही
अंधियारे का है शत्रु वो
और उजियारे का लाल वही ।
झंझावाती काले बादल
गरजे उस पर, बुझ जाने को,
तब चमकी बिजली आसमान से
उसक का ढाढस बंधवाने को ।
लहराई शमा, प्रेयसी उसकी
कहा साथ रहेंगे जनम जनम
जो हाथ लगाया दीपक को
मैं भस्म करूंगी बादल को ।
बादल बिखरे, सूरज आया
सहलाने अपने बालक को
वंदन में सारा जग उसके
जिसने जीता अंधियारे को ।
___संकल्प सक्सेना ।
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