Thursday, November 15, 2012

मोहब्बत


जन्म लिया और मोहब्बत हो गयी 

पहले माँ से फिर जहां से 



फिर समय बदला 
हुआ परिचय
कहीं धरम , कहीं करम से 



हुआ एहसास यह मिटटी भी माँ है 
खेल कर जीवन की होली 
मुझको भी मरना यहाँ है 
कुछ करम करना यहाँ है 
गोद में सोना यहाँ है 



जीना नहीं कुछ पल मुझे है 
हर पल मुझे जीवित है करना 
मेरे पल के साथियों का 
हर पल मुझे गुलज़ार करना 
मेरे अपने संसार के लिए



हो जहां प्रीतम, मेरा घर 
हो जहां बचपन , मेरा घर
प्रेम की 'लवि' कल्पना में 
मिटटी मेरीभारतमेरा घर



____संकल्प सक्सेना 'लवि'


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