Friday, March 15, 2013


वो सो रहे हैं, रात की आगोश में 
यहाँ नींद नहीं, 'भोर' मुझे होश में। 

तुम तो अपनी बाहों में एक गुड्डा लेके सोती हो 
यहाँ नींद आती है तन्हाई की आगोश में। 

दूरियों ने बसंत को वीरान कर दिया 
अब तो आयेगा सावन 'लवि' नर्म आग़ोश में।
___ संकल्प सक्सेना 'लवि' ।

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