Wednesday, March 20, 2013


चश्म - ए - यार का ममनून इस क़दर 
इखलास इनायतें, इश्क़ शाम- ओ- सेहर।। 

रूदाद-ए -मोहब्बत और नाज़नी का नूर 
नाबर्द-ए -इश्क़ संग हिज्र का ये सफ़र।।

क़ार-ए-मोहब्बत आसां नहीं मगर 
उशाक़ बढ़ चले, इश्क की ये डगर।। 

और क्या कहें ?  'असद/लवि ' पशेमान हैं 
महफ़िल-ए-शौक़ है, मुखलिस नहीं मगर।। 
                                          ___संकल्प सक्सेना 'लवि'।

चश्म - ए - यार: eyes of beloved
ममनून : शुक्रगुज़ार 
इखलास: selfless 

रूदाद-ए -मोहब्बत: Tale of  Love 
नाबर्द-ए -इश्क़ : struggle in love
हिज्र: separation
 
क़ार-ए-मोहब्बत: task in love
उशाक़: आशिक़ का बहुवचन          

असद : कवि/शायर 
महफ़िल-ए-शौक़: Gathering of Love
 मुखलिस: जिसे हम प्यार करते हैं, beloved.

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