जो बीत गया, था समय बुरा
जो साथ रहे वो बचपन है।
बचपन
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बचपन तेरी हर इक बूँद में
शीतलता की फुहार है
तेरी बाहों में जो बीते
वो पल सब गुलज़ार हैं।
आज तो बस यादों में है तू
खुशबू सा एहसास है
खेल पुराने जो थे खेले
उन सायों से संसार है।
जो बिछड़े तेरी बाहों से
पायल की झनकार है
सावन में है खिली धूप
सजनी का श्रृंगार है।
प्यार के हर अंदाज़ में है तू
तेरि बाहों सा एहेह्सास है
बच्चों से भी छोटे हैं वो
मासूम सच्चा प्यार है।
अब न जाएगा कहीं तू
खेल नहीं है प्यार है
बचपन तू है, उनमें है तू
खुशियों का संसार है।
____ संकल्प सक्सेना 'लवि'।