Friday, September 6, 2013



सायों की रहगुज़र

ता उम्र का सफ़र, सायों की रहगुज़र 
नयनों की राह से, अश्क़ों की रहगुज़र।।

बचपन से जवानी, सायों की ज़ुबानी 
ये खेल समय का, ख़्वाबों की रहगुज़र।।

साँसों में महक है, आँखों में तरन्नुम 
ये दौर-ए-जवानी, बाहों की रहगुज़र।।

जो रूठ गए हैं, वो आ नहीं सकते 
बिछड़े हैं जो साक़ी, जामों की रहगुज़र।।

आहों के सहारे, हर्फों की रहगुज़र
साये में क़लम के, ग़ज़लों की रहगुज़र।।
                                                __ संकल्प सक्सेना 'लवि'।

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