Friday, December 27, 2013



सन २०१३ जाने को है। इस बीते साल ने भी हर साल कि तरह बहुत कुछ सिखलाया।कई ऐसे पाठ जीवन के जो शायद गीता/क़ुरान या बाइबल भी आसानी से न समझा पाएं। इस सन २०१३ में बीते हर लम्हे को मेरा नमन और भावभीनि विदाई।
आप सभी का नव वर्ष २०१४ मंगलमय और सुखद हो यही शुभकामनाएं।

सांझ हो रही है 
सब तरफ हर्ष है उल्हास है 
एक सूरज जाने को है 
कोई उसे मनाने को है। 

बहुत सी यादें जो दे गया है मुझे 
कई नए मीत जो दे गया है मुझे 
कैसे जाने दूं ऐसे साक़ी को 
जो नया जाम दे गया है मुझे। 

फिर नए फूल खिल खिलाएंगे 
फिर नए गीत सरसरायेंगे 
तू कहीं दूर सो रहा होगा 
हम तुझे  में  बुलाएंगे। 

आँख से जो है रिस्ता पानी सा 
हम तुझे सीप में सजाएंगे 
होंगे मोती कई जो राहे सफ़र 
फिर तेरे गीत गुनगुनाएंगे।  

बेसबब जो है तूने सिखलाया 
उसको हर्फ-ओ-क़ुरान करते हैं 
जो अफ़ाक़-ओ-शफ़क़ में डूब गया 
क़लम-ए-इमाम इश्क़ करते हैं।
                                                  __ संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।  

बेसबब- selfless /unreasonable
अफ़ाक़ - horizon, क्षितिज
शफ़क़ - सूर्यास्त के समय आकाश मैं फ़ैली लाली, redness  in  the  sky
हर्फ़- शब्द, words