Saturday, November 1, 2014


मैं तेरे रात भर, गीत गात रहा
तू मुझे ख़्वाब में, गुनगुनाता रहा।

जाम भरते रहे, होश उड़ते रहे
रंग आरिज़ पे, साक़ी के छाता रहा। 

रूप है इश्क़ का, हुस्न फूलों का है
मैं नज़ाक़त, के माने बताता रहा।

वो शिकारी नहीं, मेरा क़ातिल नहीं
शौक़ से मैं, क़यामत बुलाता रहा।

मुन्तज़िर है नज़र, मुस्कराएं 'मुरीद'
हुस्न पर्दे  से, ख़ुश्बू लुटाता रहा।
                                  __संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।

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