दिलों से उठती हैं, आँखों से बरसती हैं
नूर की गलियों से, होकर वो गुज़रती हैं ।।
मौजें हैं, रवानी है, कुछ आँख में पानी है
सागर की यही बूँदें, तूफ़ान उफ़नती हैं ।।
खोया हूँ तुझ ही में मैं , मंज़र ये निराला है
बज़्म-ए -रुहानी में , साक़ी सी मचलती हैं ।।
रिंदों की मोहब्बत हैं, साक़ी की जवानी हैं
हसरतें मेरे दिल की, मयख़ानों में सजती हैं ।।
'मुरीद' हूँ उनका, वो मेरे मुख़ातिब हैं
बहकी है मेरी धड़कन, नब्ज़ समझती हैं ।।
___संकल्प सक्सेना 'मुरीद' ।
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