2 बरस बीत गए आपको गए हुए, लेकिन वो टीस आज भी उठती है ।
मेरे प्राथम गुरु नानाजी को समर्पित ये अश्रुपूरित काव्यात्मक श्रद्धांजलि, आखिर ये कविता रूपी आशीर्वाद उन्हीं की देन है। मैं आज जो कुछ भी हूँ उसकी मजबूत नींव नानाजी ने ही रखी थी।
मेरे प्राथम गुरु नानाजी को समर्पित ये अश्रुपूरित काव्यात्मक श्रद्धांजलि, आखिर ये कविता रूपी आशीर्वाद उन्हीं की देन है। मैं आज जो कुछ भी हूँ उसकी मजबूत नींव नानाजी ने ही रखी थी।
दर्द होता है, टीस उठती है
ये वक़्त किसी के लिये नहीं रुकता
लोग आते हैं, लोग जाते हैं
समय किसी के लिए नहीं रुकता।
आपका भी समय था
चले गए आप भी
संजो रखी हैं जो यादें
वो आज भी क़रीब हैं
यादों के सहारे ही सही
आप साथ हो हमारे
और
साथ है वो हर संस्कार,
वो हर बात,
ये गीत,
ये ग़ज़ल,
ये कविता रूपी आशीर्वाद,
ज्ञान की एक अविरल सरिता
प्रकाश का ओजस पुंज
और कड़कती हुई आपकी डांट
सब कुछ है मेरे पास
सब कुछ है मेरे पास
कड़वे नीम की मीठी पात
कड़वे जीवन के जैसी मिठास
सब कुछ है मेरे पास
बस! नानाजी, आप नहीं हो
बस! आप नहीं हो।
कहीं नहीं हो।
©संकल्प सक्सेना 'मुरीद' ।
30/12/2018 10.45 PM
कड़वे नीम की मीठी पात: शिरडी में गुरु स्थान का नीम।
No comments:
Post a Comment