फिर वही मय कदों में रंगा रंग शाम
भरते जाम
टकराते प्याले
छलकता साल
किसी को अच्छा लगता है
किसी को बुरा
पर अच्छा लगे या बुरा
समय रुकता नहीं है
चलायमान है
ये बीत रहा है
वो आ जायेगा
जो आज आएगा
कल चला जाएगा
बारह महीनों का सफ़र
कुछ दे गया, कुछ ले गया
समय छलकते जाम सा
बीत गया, बीत गया
नूतन का फिर स्वागत है
नूतन से फिर आशाऐं
सबकी हों पूरी इसमें
अभिलाषाएं अभिलाषाएं।
©संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।
नव वर्ष 2019 आप सभी के लिए मंगलमयी हो
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🍾🎂🍻💖💞
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