मैं शायर हूँ, एक दिवाना
मेरा भी है, एक फ़साना ।।
दर्द जहां के, आंसू अपने
मेरी दौलत, ग़म का खज़ाना ।।
कितने पराए, कितने अपने
सबसे उल्फ़त, एक तराना ।।
मेरे ख़यालों की ये दुनिया
उसमें अक़्सर, तेरा आना।।
मेरी मुरादें, मेरे अरमां
ये है सुलगता, एक ज़माना ।।
उसकी दस्तक़, उसकी आहट
हिज्र का है ये, दौर सुहाना ।।
कितने गीतों की मंज़िल है
दीद का मंज़र और मुस्काना ।।
मंज़िल भी, उसको मिलती है
जिसने ना, सीखा शर्माना ।।
अना की दुनिया, वफ़ा के जुमले
मजबूरी है, चलते जाना ।।
शानों पर ले, जाएंगे सब
अश्क़ों में, फिर मेरा आना ।।
दरिया है ये, खूब लुटाओ
'मुरीद' का है ये फ़रमाना ।।
©संकल्प सक्सेना 'मुरीद'।
02/11/2018 19:45 IST
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